मिल्कीपुर-अयोध्या । जनपद की मिल्कीपुर उपचुनाव के लिए भाजपा की तरफ से भी प्रत्याशी का ऐलान होने के साथ ही लड़ाई साफ हो गई है। सपा और भाजपा के बीच ही सीधी लड़ाई होने जा रही है। सपा ने अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को यहां से प्रत्याशी बनाया है। मंगलवार को भाजपा ने चंद्रभानु पासवान को उतारकर लड़ाई को रोचक बना दिया है। चंद्रभानु भी अवधेश प्रसाद की ही तरह पासी बिरादरी से आते हैं। ऐसे में मिल्कीपुर का सियासी पारा चढ़ चुका है। भाजपा ने नए चेहरे चंद्रभानु पासवान को टिकट देकर राजनीतिक दलों के साथ ही मिल्कीपुर की गलियों में भी कड़ाके की ठंड में गर्मी ला दी है। बसपा ने उपचुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया है। ऐसे में बसपा का वोट किधर जाता है इस पर भी सभी की नजरें रहेंगी। जातीय समीकरण की बात करें तो मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर 1.25 लाख दलित मतदाता हैं। इसमें पासी 55 हजार के आसपास बताए जाते हैं। मुस्लिम 30 हजार, यादव 55 हजार, ब्राह्मण 60 हजार, क्षत्रिय 25 हजार, वैश्य 20 हजार, कोरी 20 हजार, चौरसिया मतदाता 18 हजार के आसपास बताए जा रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने 1998 और 2004 के उपचुनावों के अलावा 1996, 2002, 2012 और 2022 के राज्य विधानसभा चुनावों में मिल्कीपुर सीट जीती थी। भाजपा ने यह सीट केवल दो बार 1991 और 2017 में जीती है। मथुरा प्रसाद तिवारी ने 1991 में भाजपा के लिए मिल्कीपुर सीट जीती और 2017 में बाबा गोरखनाथ ने इसे हासिल किया। गोरखनाथ 2022 में अवधेश प्रसाद से हार गए थे। 2024 के लोकसभा चुनाव में अवधेश प्रसाद द्वारा फैजाबाद से दो बार के भाजपा सांसद लल्लू सिंह को 54,567 वोटों से हराने के बाद मिल्कीपुर सीट खाली हो गई। प्रसाद को 554,289 वोट और सिंह को 499,722 वोट मिले। मिल्कीपुर पर कब्ज़ा करने को लेकर भाजपा की गंभीरता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद यहां के प्रभारी हैं। उन्होंने पार्टी को यह सीट जीताने की ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ले ली है। इसके अलावा बीजेपी ने यहां मंत्रियों की फौज उतारी है। कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही, स्वतंत्र देव सिंह, जेपीएस राठौड़, दयाशंकर सिंह, मयंकेश्वर शरण सिंह और सतीश शर्मा को भी मिल्कीपुर में उतारा गया है। कोरी समाज भोला भारती को उम्मीदवार बनाकर बढ़ाएगा सपा व भाजपा की मुश्किलें
-जिला पंचायत चुनाव में भी अजीत से हो चुका मुकाबला
अयोध्या: मिल्कीपुर (सु.) उप चुनाव में कोरी समाज भोला भारती को उम्मीदवार उतार समाजवादी पार्टी व भाजपा के प्रत्याशी की मुश्किलें बढ़ा सकता है। सपा प्रत्याशी अजीत प्रसाद व भाजपा प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान के बीच फिलहाल अभी सीधी लड़ाई दिखती है। अजीत प्रसाद नामांकन कर चुके हैं। गुरुवार को भाजपा प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान नामांकन करेंगे। कोरी समाज के सर्वसम्मत से उम्मीदवार बने भी भोला भारती उसे त्रिकोणीय बना सकते हैं। एक तो वह मिल्कीपुर ब्लाक के हैं उन पर बाहरी होने का आरोप नहीं लगता। दूसरी वजह कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में 2012 के वि विधानसभा चुनाव का प्रदर्शन रहा है जिसे वह कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में मिल्कीपुर विधानसभा सीट से लड़े थे। करीब उनको 16 हजार 651 मत उनको मिले थे। उस चुनाव में विजेता रहे सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद को 73 हजार 803 मत मिले थे, जो अब सांसद हैं। भाजपा प्रत्याशी रामू प्रियदर्शी 32 हजार 972 मत पाकर तीसरे स्थान पर खिसक गये थे। दूसरे स्थान पर बसपा के पवन कुमार रहे जिनको 39 हजार 566 मत मिले थे। इस बार उप चुनाव में अवधेश प्रसाद के बजाय वह उनके पुत्र व सपा प्रत्याशी अजीतप्रसाद के सामने होंगे। भोला को इस बार कांग्रेस ने नहीं कोरी समाज ने सर्वसम्मति से उनको प्रत्याशी बनाया है। वह करी बिरादरी से आते हैं सपा व भाजपा प्रत्याशी पासी बिरादरी के हैं। भारती ने गुरुवार को नामांकन करने की जानकारी दी है। पूर्व जिला पंचायत सदस्य व कांग्रेस नेता भोला भारती का पहला चुनावी मुकाबला वर्ष 2010 के जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में मिल्कीपुर प्रथम सीट पर अजीत प्रसाद से हो चुका है। भारती उस समय कांग्रेस के प्रत्याशी थे। अजीत प्रसाद को उसमें पराजय का कड़वा स्वाद चखना पड़ा था। लगभग एक हजार मतों से वह भारती से हार गये। पहली बार जिला पंचायत के सदस्य का चुनाव भोला भारती मिल्कीपुर द्वितीय सीट से भाजपा प्रत्याशी मनोज रावत को हरा कर जीते थे। जीत का अंतर करीब चार हजार का था। दूसरी बार विधानसभा उप चुनाव में बिरादरी की नाव पर सवार होकर वह सांसद पुत्र अजीत प्रसाद का या फिर चंद्रभानु पासवान में से किसका चुनावी गणित बिगाड़ेंगे, यह चुनाव परिणाम बताएगा।